टूलकिट केस में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिल गई है.
न्हें एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत मिली है. जमानत की औपचारिकता पूरी करने पर रात में उन्हें रिहा कर दिया गया.
इससे पहले इस मामले में अदालत ने कहा कि नागरिक सरकार की अंतरात्मा जगाने वाले होते हैं.
उन्हें केवल इसलिए जेल नहीं भेजा जा सकता क्योंकि वे सरकार की नीतियों से असहमत है.
अदालत ने यह भी कहा, "एक व्हाट्सएप का निर्माण या एक हानिरहित टूलकिट का संपादक होना कोई अपराध नहीं है."जज ने कहा कि तथाकथित 'टूलकिट' से पता चलता है कि इससे किसी भी तरह की हिंसा भड़काने की कोशिश नहीं की गई थी.
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उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से नागरिक एक लोकतांत्रिक देश में सरकार पर नज़र रखते हैं. सिर्फ़ इसलिए कि वो राज्य की नीतियों से असहमत हैं, उन्हें जेल में नहीं रखा जा सकता. राजद्रोह का आरोप इसलिए नहीं लगाया जा सकता कि सरकार को उससे चोट पहुँची है." कोर्ट ने कहा कि मतभेद, असहमति, अलग विचार, असंतोष यहां तक कि अस्वीकृति राज्य की नीतियों में निष्पक्षता लाने के लिए ज़रूरी उपकरण हैं.
अदालत ने कहा, "एक जागरूक और मुखर नागरिकता एक उदासीन या विनम्र नागरिकता की तुलना में निर्विवाद रूप से एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र का संकेत है." "संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत असंतोष का अधिकार दृढ़ता से निहित है."
इससे पहले दिशा की पुलिस ने 4 दिन की पुलिस रिमांड मांगी थी.
गौरतलब है कि सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने दिशा रवि को एक और दिन की पुलिस कस्टडी में भेजने का आदेश दिया था.
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