राजद प्रमुख लालू प्रसाद के नाम एक पत्र लिख पार्टी से इस्तीफा का एलान करने वाले वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद प्रसाद सिंह ने एक बार फिर से भावुक पत्र लिखा है. उन्होंने बिना नाम लिए लालू प्रसाद यादव के परिवार को आड़े हाथ लिया है.
खबरोंके मुताबिक रघुवंश प्रसाद ने लिखा है, ''वर्तमान में राजनीति में इतनी गिरावट आ गई है, जिससे लोकतंत्र पर ख़तरा है. महात्मा गांधी बाबू जयप्रकाश, डॉ लोहिया, बाबा साहेब और जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम और विचारधारा पर लाखों लोग लगे रहे, कठिनाईयां सहीं, लेकिन डगमग नहीं हुए, लेकिन अब समाजवाद की जगह सामंतवाद, जातिवाद, वंशवाद, परिवारवाद, संप्रदायवाद आ गया। यह सभी उतनी ही बुराईयां हैं, जिसके खिलाफ समाजवाद का जन्म हुआ था.''
रघुवंश प्रसाद ने आगे लिखा है ''अब इन पांचों महान पुरुष की जगह एक ही परिवार के पांच लोगों की फोटो छपने लगी है. पद हो जाने से धन कमाना और धन कमाकर ज्यादा लाभ का पद खोजना। राजनीति की परिभाषा के अनुसार इन सभी बुराइयों से लड़ना है. राजद संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से ही पार्टी में संगठन और संघर्ष को मजबूत करने के लिए लिखा, लेकिन पढ़ने तक का कष्ट नहीं किया गया.''
गौरतलब है कि दिल्ली एम्म में भर्ती रघुवंश प्रसाद ने इससे पहले 10 सितंबर को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के नाम एक पत्र सादे कागज में लिखा था.
रघुवंश प्रसाद ने पत्र के जरिए लालू से कहा, ''जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे-पीछे खड़ा रहा. . इस दौरान उन्हें पार्टी में बहुत प्यार मिला लेकिन अब साथ देना संभव नहीं है.मुझे क्षमा करें.''
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रघुवंश प्रसाद सिंह की तबीयत बुधवार को अचानक खराब हो गई. उन्हें दिल्ली स्थित एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया है.
रघुवंश प्रसाद के पत्र का लालू ने जेल से जवाब भेजा है. लालू ने ठीक रघुवंश प्रसाद सिंह की तरह सादा कागज में लिखा है, "आपके द्वारा कथित तौर पर लिखी एक चिट्ठी मीडिया में चलाई जा रही है मुझे तो विश्वास ही नहीं होता.अभी मेरे, मेरे परिवार और मेरे साथ मिलकर सिंचित राजद परिवार आपको शीघ्र स्वस्थ होकर अपने बीच देखना चाहता है. चार दशकों में हमने हर राजनीतिक, सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक मामलों में मिल बैठकर ही विचार किया है आप जल्द स्वस्थ हों,फिर बैठकर बात करेंगे. आप कहीं नहीं जा रहे है.समझ लीजिए.आपका- लालू प्रसाद."
इधर जदयू के सांसद ललन सिंह ने आरोप लगाया है कि राजद में त्याग करने वाले नेताओं की कद्र नहीं है. यह सब परिवावरवाद की वजह से होता है. उन्होंवने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी के समय से लोकदल से विधायक रहे भोला राय ने लालू प्रसाद के लिए राघोपुर सीट का त्याग किया था. 32 साल तक साथ देने वाले रघुवंश बाबू हों या भोला राय, राजद में त्याग करने वालों को अपमानित करने की परंपरा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि राजद में लोस, रास या विस, सभी के टिकट के लिए लेन-देन होता है.
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