झारखंड की राजधानी रांची में सीवरेज- ड्रेनेज निर्माण को लेकर मैनहर्ट कंपनी को परामर्शी कंपनी बनाने में कथित तौर पर में अनिमियतता, भ्रष्टाचार तथा षड़यंत्र के आरोपों की जांच को लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने रघुवर दास समेत अन्य के खिलाफ पीई (प्रिलिमनरी इंक्वायरी) दर्ज कर लिया है. साथ ही जांच शुरू कर दी गई है.
रघुवर दास तब (2008-2009) झारखंड सरकार में नगर विकास मंत्री थे.
इससे पहले इसी साल एक अक्तूबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले में एसीबी से जांच के आदेश दिए थे.
एसीबी ने मंत्रिमंडल निगरानी और सचिवालय विभाग से जांच की स्वीकृति मांगी थी.
दरअसल जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने इस मामले में एसीबी में परिवाद दर्ज कराते हुए तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास और अन्य के खिलाफ जांच की मांग की थी.
हेमंत सोरेन ने इसी परिवाद के आलोक में एंटी करप्शन ब्यूरो को यह आदेश दिया है. जाहिर है यह मामला रघुवर दास का पीछी नहीं छोड़ रहा.
सरयू राय ने अपनी शिकायत में इसका उल्लेख किया था कि निविदा निष्पादन की प्रक्रिया में हर स्तर पर गड़बड़ी हुई है.
इस कारण सरकारी राजस्व में करोड़ों का नुकसान हुआ. निविदा अनावश्यक रूप से विश्व बैंक की क्यूबीएस पर आमंत्रित की गयी थी. ऐसा एक षड्यंत्र के तहत हुआ था.
क्या कहा था परिवाद में
राजधानी रांची में सीवरेज- ड्रेनेज को लेकर परामर्शी कंपनी मैनहर्ट के चयन में गड़बड़ियों से जुड़े आरोपों को लेकर पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पिछले 31 जुलाई को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में औपचारिक परिवाद दिया था.
इसके बाद मीडिया से बातचीत में सरयू राय ने कहा था, 27 जुलाई को उनकी लिखी हुई पुस्तक ‘मेनहर्ट नियुक्ति घोटाला लम्हों की खता में’ कई अनिमियतताओं को उजागर किया गया है. मामले की जांच होनी चाहिए.
इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद रघुवर दास ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इस मामले की जांच में क्लीन चीट मिल चुकी है.
सरयू राय का कहना था कि अगर क्लीन चिट मिल चुकी है, तो वह साफ होना चाहिए. इसलिए इस मामले को लेकर वे एसीबी के पास पहुंचे हैं.
lतब सरयू राय ने कहा था, ''एसीबी से आग्रह करते हुए एक औपचारिक प्रतिवाद सौंपा हूं. इसमें एसीबी से आग्रह किया हूं कि मैनहर्ट मामले में अगर कोई जांच हुई हो तो उसकी रिपोर्ट दी जाए. अगर जांच नहीं हुई है तो इस मामले पर जांच होनी चाहिए.''
सरयू राय ने जब इस घोटाले पर किताब लिखी, तो रघुवर दास ने तीखी टिप्पणी की थी. दरअसल यह मामला 11 साल पुराना है.
और रघुवर दास ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी कर कहा है कि इस मामले में जांच के बाद क्लीन चिट दी गई है.
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रघुवर दास ने सवालिया लहजे में कहा था, ''क्या सरयू राय जी इस मामले को विगत 10 वर्षों से भ्रष्टाचार का मामला बताकर आम जनता को गुमराह करने एवं उनकी आंखों में धूल झोंकने का काम करते रहे हैं.जिस शासन तथा पार्टी का वे हिस्सा रहे, उसके विरूद्ध अनर्गल बातें करना उनका स्वभाव रहा है. मैंने अपने कार्यकाल में राज्य के विकास के लिए दिन रात मेहनत की और राज्य को विकास के पथ पर ला खड़ा किया है. अफसोस है कि राय जी ने सिर्फ इसलिए मेरा प्रतिकार करते रहे हैं कि संभवत: भगवान उन्हें सुबुद्धि प्रदान करें, इससे अधिक मैं क्या ही कह सकता हूं.''
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