झारखंड में दो साल के दौरान पुलिस के साथ मुठभेड़ में 40 नक्सली मारे गए हैं. जबकि मुठभेड़ की 88 घटनाएं हुई हैं.
दो साल में नक्सलियों ने 58 लोगों की हत्या की है.
इनमें 2019 में 30 आम लोग और 2020 में 28 लोग नक्सली हिंसा के शिकार हुए.
प्रमुख विपक्षी दल भाजपा द्वारा कई मौके पर राज्य में नक्सली घटनाएं बढ़ने और नक्सलियों के प्रति सरकार की नरमी का आरोप लगाए जाने के जवाब में सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कुछ आंकड़े जारी करते हुए पलटवार किया है.
पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टचार्य ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास यह नहीं भूलें कि उनके कार्यकाल में कोर्ट परिसर में भी हत्याएं होती थी. नक्सली घटनाओं और पुलिस की कार्रवाईयों का डेटा हमलोग भी रखते हैं.
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सुप्रियो भट्टाचार्य ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि साल 2019 में रघुवर दास के कार्यकाल में 368 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया था.
जबकि साल 2020 में हेमंत सोरेन की सरकार में 459 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया.
साल 2019 में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की 38 घटनाएं हुई. जबकि साल 2020 में मुठभेड़ की 50 घटनाएं हुई. जाहिर है पुलिस मुस्तैदी के साथ नक्सलियों को पीछे धकेलने में जुटी है.
इसके अलावा 2019 में 12 नक्सलियों ने सरेंडर किया. वहीं साल 2020 में 14 नक्सलियों ने सरेंडर किया. नक्सलियों पर दबाव के कारण ही वे सरेंडर कर रहे हैं.
जारी आंकड़े में यह बताया गया है कि साल 2019 में नक्सलियों ने 14 पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी. जबकि 2020 में सिर्फ एक पुलिस का जवान मारा गया है.
नक्सलियों के पास से हथियार बरामद करने में भी पुलिस को लगातार और अच्छी सफलता मिल रही है.
साल 2019 में नक्सली हिंसा की 134 और साल 2020 यानी हेमंत सरकार के एक साल में 127 घटनाएं हुई.
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