चुनाव नजदीक है. नेता बोले जा रहे हैं. कार्यकर्ता भी झंडे- पताके लहरा रहे. इन सबके बीच जगह- जगह आम अवाम का गुस्सा और दर्द भी छलक रहा है. बुधवार को यही नजारा दुमका में सामने आया. बड़ी तादद में लोग सड़कों पर उतरे. वोट बहिष्कार तक के नारे लगाए. गुस्सा किन बातों पर महिलाओं के हाथों में तख्तियां तस्दीक करती रही.
भरी दुपहरी वे नारे लगाते रहे. हिदायत भी कि अब सड़क पर ही फैसला होगा. दरअसल जिस प्रधानमंत्री आवास योजना का ढिंढोरा है, पुराना दुमका पंचायत के लोगों को उसका इंतजार है.
झारखंड की उपराजधानी दुमका शहर से यह इलाका बिल्कुल सटा है. पंचायत समति की सदस्य ज्योत्सना देवी और और शहजादी खातून का कहना है कि योजनाएं फाइलों में चल रही. जमीन पर जरूरतमंदों अपने हक और अधिकार से वंचित हैं.
शहजादी खातून कहती हैं कि गरीब का यहां कौन सुनने वाला है. अब पहुंच पैरवी और पैसे तो हैं नहीं कि योजनाओं का लाभ लिया जा सके. जिसके पास गुजारिश कीजिए वही कहेगा 'खरचा' लगेगा. अब गरीब आदमी 'खरचा' कहां से लाए.
चुनाव आया है, तो नेताओं तक अपनी बात पहुंचाने का यह मुक्कमल तरीका है. हम अपने फैसले से हटने वाले नहीं. काम नहीं, तो वोट नहीं.
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बुधवार को दिन भर लोग सड़कों पर डटे रहे. कहा चुनाव से पहली उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो वोट नहीं देंगे. पुराना दुमका की आबादी पंद्रह हजार तक होगी. धरना प्रदर्शन में बड़ी तादाद में महिलाएं शामिल थीं.
रवींद्र बास्की, संजय यादव, अरूण कुमार बताते हैं कि पूरे पंचायत के लोगों ने आम सहमति से विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है. वोट देना अगर अधिकार है, तो मूलभूत सुविधाएं पाने के भी हम हकदार हैं.
रवींद्र बास्की इस पंचायत के पूर्व मुखिया भी हैं. उनका आरोप है कि लगभग पांच सौ पीएम आवास बनाए जाने हैं, लेकिन लोगों को इसका इंतजार ही है. बहुत लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है.
जबकि वर्तमान मुखिया सुशांति हांसदा का दावा है कि 370 शौचालय बनाए जा चुके हैं. 327 लोगों को राशन कार्ड दिया गया है. सड़कें पक्की हुई हैं. नालियां बनी है.
गौरतलब है कि दुमका से बीजेपी की विधायक लुइस मरांडी सरकार में मंत्री हैं. और यहां के सांसद जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन हैं.
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